चीनी हैकर्स ने किया प्रमुख अमेरिकी टेलीकॉम कंपनियों पर हमला: एटीएंडटी और वेरिज़ॉन की राष्ट्रीय सुरक्षा जासूसी में सेंध
बीजिंग से जुड़े Chinese Hackers ने एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती दी है। इस बार निशाना बने हैं दो प्रमुख अमेरिकी टेलीकॉम कंपनियां – AT&T and Verizon । 11 अक्टूबर 2024 को यह खबर सामने आई, जब अमेरिकी सरकार ने पुष्टि की कि चीनी हैकर्स ने इन कंपनियों के नेटवर्क में सेंधमारी की है। इस साइबर हमले का उद्देश्य जासूसी और महत्वपूर्ण जानकारी चुराना था।
अधिकारियों के अनुसार, ये हमला पिछले कुछ महीनों से चल रहा था, लेकिन हाल ही में इसके प्रमाण मिले। इस हमले से अमेरिकी नागरिकों की निजी जानकारी और सरकारी संचार तंत्र दोनों ही खतरे में आ गए हैं। AT&T and Verizonअमेरिकी संचार प्रणाली की रीढ़ माने जाते हैं, और इनकी सुरक्षा पर सवाल उठना अमेरिका के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
कैसे हुआ हमला?
सूत्रों के मुताबिक, Chinese Hackers ने अत्याधुनिक साइबर तकनीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने AT&T and Verizon के नेटवर्क सिस्टम में ट्रोजन सॉफ्टवेयर और फिशिंग ईमेल के माध्यम से एंट्री की। इन सॉफ्टवेयर की मदद से हैकर्स धीरे-धीरे नेटवर्क के भीतर महत्वपूर्ण डेटा तक पहुंचते गए। खास बात यह है कि यह हमला धीरे-धीरे किया गया, ताकि साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को इसका पता न चले।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला कई चरणों में हुआ। सबसे पहले Chinese Hackers ने Telcom कंपनियों के डेटा ट्रैफिक को मॉनिटर करना शुरू किया। फिर उन्होंने सिस्टम में बैकडोर इंस्टॉल किए, जिससे उन्हें संवेदनशील जानकारी तक पहुंच मिल सके। इस जासूसी अभियान का उद्देश्य अमेरिकी सरकार और सेना के संचार से संबंधित जानकारी चुराना था।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस घटना को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि अगर समय पर इस हमले का पता नहीं चलता, तो यह अमेरिका के सुरक्षा ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता था। AT&T and Verizon दोनों कंपनियों की सेवाएं न केवल आम नागरिकों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं, बल्कि सरकारी विभागों, सेना और इमरजेंसी सेवाओं द्वारा भी इस्तेमाल होती हैं।
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अमेरिका की खुफिया एजेंसियां इस हमले को लेकर सतर्क हो गई हैं। एफबीआई और एनएसए (नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी) इस मामले की जांच कर रही हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि इस हमले के पीछे चीनी हैकिंग ग्रुप APT41 का हाथ हो सकता है। यह ग्रुप पहले भी अमेरिकी कंपनियों और सरकारी संस्थानों पर साइबर हमले कर चुका है।
क्या है चीन की मंशा?
यह पहला मौका नहीं है जब चीन पर अमेरिकी टेलीकॉम और अन्य अहम संस्थानों पर साइबर हमले का आरोप लगा हो। चीन की मंशा अक्सर अमेरिकी आर्थिक और सैन्य सूचनाओं की चोरी होती है। चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से साइबर जासूसी को लेकर तनाव है। चीन अपने साइबर हमलों से अमेरिका की तकनीकी और सामरिक जानकारी जुटाने की कोशिश करता है, जिससे वह खुद को वैश्विक शक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ सके।
आगे की राह
एटीएंडटी और वेरिज़ॉन इस समय अपने नेटवर्क की पूरी तरह से जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ग्राहकों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है और वे इस हमले से संबंधित सभी प्रभावित सिस्टम को सुधारने में जुटे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के साइबर हमले आने वाले समय में और बढ़ सकते हैं, क्योंकि दुनिया भर में साइबर जासूसी का खतरा बढ़ रहा है।
अमेरिका ने चीन को इस घटना के लिए चेतावनी दी है और कहा है कि वह अपने साइबर सुरक्षा उपायों को और मजबूत करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच साइबर युद्ध का यह सिलसिला अभी थमने वाला नहीं है। अमेरिका की तरफ से कड़ी सुरक्षा और लगातार निगरानी ही ऐसे हमलों से बचने का उपाय हो सकता है।
निष्कर्ष
चीनी हैकर्स (Chinese Hackers) द्वारा एटीएंडटी और वेरिज़ॉन पर हुआ यह हमला यह साबित करता है कि साइबर सुरक्षा आज की दुनिया में कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। यह घटना अमेरिका के लिए एक चेतावनी है कि उसे अपनी साइबर सुरक्षा प्रणाली को और सशक्त बनाना होगा, ताकि भविष्य में इस प्रकार के हमलों से बचा जा सके।