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18 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दाखिल क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया। ये पिटीशन adjusted gross revenue (AGR) बकाया को लेकर थी, जिसे कंपनियां कम करना चाहती थीं। Vodafone idea AGR supreme court hearing के फैसले के बाद, कंपनियों को अब भारी बकाया राशि चुकानी होगी, जो करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है।
AGR full form :-Adjusted Gross Revenue
AGR विवाद क्या है?
AGR यानी Adjusted gross revenue एक ऐसा फॉर्मूला है, जिसके तहत टेलीकॉम कंपनियों से उनके कुल रेवेन्यू का एक हिस्सा सरकार को देने का प्रावधान है। इसमें लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज शामिल होता है। हालांकि, टेलीकॉम कंपनियां और सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद था कि AGR की गणना कैसे होनी चाहिए।
कंपनियों का तर्क था कि केवल टेलीकॉम सर्विस से होने वाले रेवेन्यू को शामिल किया जाए, जबकि सरकार चाहती थी कि अन्य स्रोतों से होने वाली आय भी इसमें शामिल हो।
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क्यूरेटिव पिटीशन क्यों दाखिल की गई?
Telcom कंपनियों ने पहले भी सुप्रीम कोर्ट से AGR बकाया में राहत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इसके बाद, कंपनियों ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की, जो आखिरी कानूनी रास्ता था। इस पिटीशन में उन्होंने कहा कि AGR की गणना में कई त्रुटियां थीं और इसे सही करने की जरूरत है। लेकिन कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि इस मामले में कोई भी सुधार या बदलाव नहीं किया जाएगा।
कंपनियों पर क्या असर होगा?
इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों पर बड़ा वित्तीय बोझ पड़ेगा। Vodafone idea AGR और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों को अब भारी बकाया राशि चुकानी होगी। वोडाफोन आइडिया पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है, और इस फैसले से उसकी स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। वहीं, भारती एयरटेल की वित्तीय स्थिति बेहतर है, लेकिन इस फैसले से उस पर भी असर पड़ेगा।
सरकार का पक्ष सरकार ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि AGR बकाया राशि को माफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान होगा। सरकार के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों ने पहले ही बहुत समय लिया है और अब उन्हें यह राशि चुकानी ही होगी।
उपभोक्ताओं पर असर इस फैसले का असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता है। टेलीकॉम कंपनियां अपने वित्तीय बोझ को कम करने के लिए टैरिफ दरों में वृद्धि कर सकती हैं। इससे मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं महंगी हो सकती हैं, जिससे आम जनता को अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ सकता है।
भविष्य की चुनौतियां AGR विवाद के बाद टेलीकॉम सेक्टर की स्थिति और भी कठिन हो गई है। वोडाफोन आइडिया के लिए यह फैसला अस्तित्व का संकट खड़ा कर सकता है। हालांकि, सरकार ने पहले इस क्षेत्र को बचाने के लिए कुछ राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन यह देखना बाकी है कि आगे की रणनीति क्या होगी।
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